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कि रॉष्णी और मैं अपने अपनी जगा दोनों मर्दों के हाथों से मसली जाने लगे।
दीपक ने एक हाथ मेरे गले के पीछे से ले जाकर कुर्थी के गले में डाल दिया।
उधर रॉष्णी के साथ भी यही हो रहा था।
मन तो क्या कि धीरज को अटा के मैं रॉष्णी से चिपक जाओं।
दीपक की आखों की वासना भड़कती देख मेरा जिसम धदखने लगा।